महाविदेह क्षेत्र में विचरते बीस विहरमान तीर्थंकरो का परिचय:-
महाविदेह क्षेत्र में सदा के लिए तीर्थंकर भगवंत विचरते है और मोक्षमार्ग भी सदा के लिए चालू ही रहता है।हाल में महाविदेह क्षेत्र में श्री सिमंधरस्वामी आदि20 विहरमान तीर्थंकर विचरते है। सभी तीर्थंकर का आयुष्य श्री ऋषभदेव भगवंत के समान 84लाख पूर्व और 500धनुष्य काया होती है सबका कंचन वर्ण होता है।
बीस विहरमान जिन का जन्म कल्याणक श्री कुंथुनाथ और श्री अरनाथ भगवान के अन्तराल के बिच हुआ है।
इनका दीक्षा कल्याणक श्री मुनीसुव्रतस्वामी तथा श्री नमिनाथ भगवान के अन्तराल में हुआ है।
20 तीर्थंकरो का दीक्षा काल हजार साल छ्द्म्स्थकाल बीतने पर केवलज्ञान प्राप्त करते है।
सभी विहारमान तीर्थंकरो का निर्वाण आगामी चोविशी में उदाल और पेढाल तीर्थंकरो के बिच एक ही समय में होगा।
बीस वीहरमान जिनके पाचों कल्याणक एक साथ में हुए है:-
च्यवन कल्याणक श्रावण वद एकम
जन्म कल्याणक वैशाख वद दसम
दीक्षा कल्याणक फाल्गुन सूद त्रिज
केवलज्ञान कल्याणक चैत्र सूद त्रिज
निर्वाण कल्याणक श्रावण वद त्रिज ।
गणधर-84, केवलमुनि- 10लाख, साधु-100करोड़, साध्वी-100करोड़,श्रावक- 900करोड़।
जन्म राशी- धन, जन्म नक्षत्र-उत्तराषाढा ।
ये वोही महाविदेह क्षेत्र है जहा भरत क्षेत्र का निवासी अगला जन्म वहा लेने की इच्छा करता है क्योंकि भरत क्षेत्र से आत्मा का मोक्ष नहीं होता ऐसा माना जाता है की अंतिम मोक्षगामी श्री जम्बू स्वामी थे और मोक्ष के दरवाजे बंद हो गए।अपितु महाविदेह क्षेत्र से ही आत्मा का मोक्ष हो सकता है।