10. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

10. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

10. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

कालंमि अणाईए ,

जीवाणं विविहकम्मवसगाणं ।

तं नत्थि संविहाणं ,

संसारे जं न संभवइ ॥१० ॥

: अर्थ :

अनादिकालीन इस संसार में नाना कर्मों के आधीन जीवात्मा को ऐसा कोई पर्याय नहीं है , जो संभवित न हो ।।10।।

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