Categories : Jain Stotra, JAINISM 100. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक जिणधम्मोऽयं जीवाणं , अपुव्वो कप्पपायवो । सग्गापवग्गसुक्खाणं , फलाणं दायगो इमो ॥१०० ॥ : अर्थ : यह जिनधर्म जीवों के लिए अपूर्व कल्पवृक्ष है । यह धर्म स्वर्ग और मोक्ष के सुखों का फल देने वाला है || 100 || Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक