100. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

100. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

100. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

जिणधम्मोऽयं जीवाणं ,

अपुव्वो कप्पपायवो ।

सग्गापवग्गसुक्खाणं ,

फलाणं दायगो इमो ॥१०० ॥

: अर्थ :

यह जिनधर्म जीवों के लिए अपूर्व कल्पवृक्ष है । यह धर्म स्वर्ग और मोक्ष के सुखों का फल देने वाला है || 100 ||

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