Categories : Jain Stotra, JAINISM 101. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक धम्मो बंधु सुमित्तो य , धम्मो य परमो गुरु । मुक्खमग्ग पयट्टाणं , धम्मो परमसंदणी ॥१०१ ॥ : अर्थ : धर्म बन्धु और अच्छा मित्र है । धर्म परमगुरु है । मोक्षमार्ग में प्रवृत्त व्यक्ति के लिए धर्म श्रेष्ठ रथ है ।।101 ॥ Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक