2. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

2. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

2. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

अज्जं कल्लं परं परारिं,

पुरिसा चिंतंति अत्थसंपत्तिं ।

अंजलिगयं व तोयं ,

गलंतमाउं न पिच्छंति ॥२ ॥

: अर्थ :

आज मिलेगा … कल मिलेगा … परसों मिलेगा । इस प्रकार अर्थ / धन की प्राप्ति की आशा में रहा मनुष्य अंजलि में रहे हुए जल की भाँति क्षीण होते आयुष्य को नहीं देखता है ।।2 ।।

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