3. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

3. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

3. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

जं कल्ले कायव्वं ,

तं अज्जं चिय करेह तुरमाणा ।

बहुविग्घो हु मुहुत्तो ,

मा अवरण्हं पडिक्खेह ॥३ ॥

: अथॅ :

जो धर्मकार्य कल करने योग्य है , उसे आज ही शीघ्र कर लो । मुहुर्त ( काल ) अनेक विघ्नों से भरा हुआ है , अतः अपराह्र पर मत डालो ।।3।।

Related Articles

× CLICK HERE TO REGISTER