Categories : Jain Stotra, JAINISM 72. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक कुसग्गे जह ओसबिंदुए थोवं चिट्ठइ लंबमाणए । एवं मणुआण जीविअं , समयं गोयम ! मा पमायए ॥७२ ॥ : अर्थ : घास के अग्र भाग पर रहा जलबिंदु अल्पकाल के लिए रहता है , उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी अल्पकाल के लिए है । अतः हे गौतम ! तू एक समय का भी प्रमाद मत कर ।। 72 ।। Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक