Categories : Jain Stotra, JAINISM 8. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक दीहरफणिंदनाले , महियरकेसर दिसामहदलिल्ले । उअ – पियइ कालभमरो , जणमयरंदं पुहविपउमे ॥८ ॥ : अर्थ : खेद है कि दीर्घ फणिधर रुपी नाल पर पृथ्वी रुपी कमल है , पर्वत रुपी केसराए और दिशा रूपी बड़े – बड़े पत्र हैं , उस कमल पर बैठकर कालरुपी भ्रमर सतत जीव रुपी मकरन्द का पान कर रहा है ॥8 ॥ Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक