8. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

8. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

8. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

दीहरफणिंदनाले ,

महियरकेसर दिसामहदलिल्ले ।

उअ – पियइ कालभमरो ,

जणमयरंदं पुहविपउमे ॥८ ॥

: अर्थ :

खेद है कि दीर्घ फणिधर रुपी नाल पर पृथ्वी रुपी कमल है , पर्वत रुपी केसराए और दिशा रूपी बड़े – बड़े पत्र हैं , उस कमल पर बैठकर कालरुपी भ्रमर सतत जीव रुपी मकरन्द का पान कर रहा है ॥8 ॥

Related Articles

× CLICK HERE TO REGISTER