83. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

83. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

83. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

एवं तिरियभवेसु ,

कीसंतो दुक्खसयसहस्सेहिं ।

वसिओ अणंतखुत्तो ,

जीवो भीसणभवारण्णे ॥८३ ॥

: अर्थ :

इस प्रकार इस संसार रूपी जङ्गल में हजारों लाखों प्रकार के दुःखों से पीड़ित होकर तियॅच के भव में अनन्त बार रहा है ।। 83 ।।

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