85. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

85. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

85. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

सत्तसु नरयमहीसु

वज्जानलदाह सीअविअणासु ।

वसिओ अणंतखुत्तो

विलवंतो करुणसद्देहिं ॥८५ ||

: अर्थ :

जहाँ वज्र की आग के समान दाह की पीड़ा है और भयङ्कर असह्य शीतवेदना है ऐसी सातों नरक पृथवियों में भी करुण शब्दों से विलाप करता हुआ अनन्त बार रहा है ।।85 ॥

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