Categories : Jain Stotra, JAINISM 89. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक तहवि खणं पि कया वि हु अन्नाण भुअंगडंकिआ जीवा । संसारचारगाओ न य उव्वज्जंति मूढमणा ॥८ ९॥ : अर्थ : अज्ञानरुपी सर्प से डसे हुए मूढ मनवाले जीव इस संसाररुपी कैद से कभी भी उद्वेग प्राप्त नहीं करते हैं ।।89।। Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक