9. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

9. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

9. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

छायामिसेण कालो ,

सयलजियाणं छलं गवेसंतो ।

पासं कह वि न मुंचइ ,

ता धम्मे उज्जमं कुणह ॥९ ॥

: अर्थ :

हे भव्य प्राणियो ! छाया के बहाने सकल जीवों के छिद्रों का अन्वेषण करता हुआ यह काल ( मृत्यु ) हमारे सामीप्य को नहीं छोड़ता है , अतः धर्म के विषय में उद्यम करो ॥9 ॥

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