Categories : Jain Stotra, JAINISM 9. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक छायामिसेण कालो , सयलजियाणं छलं गवेसंतो । पासं कह वि न मुंचइ , ता धम्मे उज्जमं कुणह ॥९ ॥ : अर्थ : हे भव्य प्राणियो ! छाया के बहाने सकल जीवों के छिद्रों का अन्वेषण करता हुआ यह काल ( मृत्यु ) हमारे सामीप्य को नहीं छोड़ता है , अतः धर्म के विषय में उद्यम करो ॥9 ॥ Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक