Categories : Jain Stotra, JAINISM 90. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक कीलसि कियंत वेलं , सरीर वावीइ जत्थ पइ समयं । कालरहट्टघडीहिं , सोसिज्जइ जीवियंभीहं ॥१० ॥ : अर्थ : इस देशरूपी बावड़ी में तू कितने समय तक क्रीड़ा करेगा ? जहाँ से प्रति समय कालरुपी अरहट के घड़ों द्वारा जीवनरूपी पानी के प्रवाह का शोषण हो रहा है ।।90 ॥ Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक