Categories : Jain Stotra, JAINISM 91. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक रे जीव ! बुज्झ मा मुज्झ , मा पमायं करेसि रे पाव !। किं परलोए गुरु दुक्ख भायणं होहिसि अयाण ? ॥९ १ || : अर्थ : हे जीव ! तू बोध पा ! मोहित न बन । हे पापी ! तू प्रमाद मत कर । हे अज्ञानी ! परलोक में भयङ्कर दुःख का भाजन क्यों बनता है ? ।। 91 ।। Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक