Categories : Jain Stotra, JAINISM 99. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक धी धी ताण नराणं , विन्नाणे तह गुणेसु कुसलत्तं । सुह सच्च धम्म रयणे , सुपरिक्खं जे न जाणंति ॥९ ९ ॥ : अर्थ : जो सुखदायी और सत्यधर्मरुप रत्न की अच्छी तरह से परीक्षा नहीं कर सकते हैं , उन पुरुषों के विज्ञान और गुणों की कुशलता को धिक्कार हो ! धिक्कार हो !! ।। 99 ॥ Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक