99. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

99. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

99. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

धी धी ताण नराणं ,

विन्नाणे तह गुणेसु कुसलत्तं ।

सुह सच्च धम्म रयणे ,

सुपरिक्खं जे न जाणंति ॥९ ९ ॥

: अर्थ :

जो सुखदायी और सत्यधर्मरुप रत्न की अच्छी तरह से परीक्षा नहीं कर सकते हैं , उन पुरुषों के विज्ञान और गुणों की कुशलता को धिक्कार हो ! धिक्कार हो !! ।। 99 ॥

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