Mare Banvu Angar| Jain Diksha Song| Hindi Lyrics

Mare Banvu Angar| Jain Diksha Song| Hindi Lyrics

Mare Banvu Angar (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song

मानव जन्म सफळ करवा काजे…

मानव जन्म सफळ करवा काजे छोड्यो जेने परिवार,

धन अणगार… धन अणगार… धन धन ते अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

प्रभु पंथ ने पामी करुं हुं… आतमने उजमाळ,

गुरु चरण ग्रहिने मारे थावुं छे भवपार,

मुज नैया पार उतार… मारे बनवुं अणगार…

मुज नैया पार उतार… मारे बनवुं अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

ज्ञान ध्यान नो योग बन्यो जे अनंतनो आधार,

ए योग ने साधी ने मारे करवो निज निस्तार,

मुज गुणोनो रखवाळ… मारे बनवुं अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

प्रभु पण चाल्या जे मारगडे बनवाने निराकार,

व्रज मनके बाळपणमां धर्यो जेनो शणगार,

आतमनो ए हितकार… मारे बनवुं अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

मोज शोखमां रही रहीने सर्ज्यो में संसार,

परिषह सही सहीने दूर कर्युं अंधकार,

मारो छे तारणहार… मारे बनवुं अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

पद प्रतिष्ठा लोभ लालचे वधार्यो अहंकार,

राग द्वेषने विषय कषाय मां फेक्यो नर अवतार,

हवे तो पार उतार… मारे बनवुं अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

कहे प्रभु संयम विना थाय नहि उद्धार,

देवो पण झुरी झुरीने मांगे आ अवतार,

मानव जीवननो सार… मारे बनवुं अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

नक्कर विकास जीवननो कहे जयंतसेन स्वीकार,

मेरु जेवो अडग बनीने में कर्यो निर्धार,

जीनागमनो सार… मारे बनवुं अणगार…

मारे बनवुं अणगार… मारे बनवुं अणगार,

मारे तरवुं संसार… मारे बनवुं अणगार,

संयम… संयम… संयम… संयम… मारे लेवो संयम…

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