Tuj Murti Man Harani | Jain Stavan | Hindi Lyrics

Tuj Murti Man Harani | Jain Stavan | Hindi Lyrics

TUJ MURTI MAN HARANI (Hindi Lyrics) Jain Stavan

मुनिसुव्रत जिन मन मोह्युं मारुं,

शरण ग्रह्युं में तुमारुं;

प्रातः समय ज्यारे हुं जागुं,

स्मरण करुं छुं तुमारुं,

हो जिनजी;

तुज मूरति मन हरणी,

भवसायर जल तरणी,

हो जिनजी, 

तुज मूरति मन हरणी,

आप भरोशो आ जगमां छे,

तारो तो घणुं सारुं रे,

जन्म जरा मरणो करी थाक्यो,

आशरो लीधो छे में तारो,

हो जिनजी;

तुज मूरति मन हरणी,

भवसायर जल तरणी,

हो जिनजी, 

तुज मूरति मन हरणी,

चुं चुं चुं चुं चिड़िया बोले,

भजन करे छे तुमारुं,

मूर्ख मनुष्य प्रमादे पड्यो रहे,

नाम जपे नहीं तारुं,

हो जिनजी;

तुज मूरति मन हरणी,

भवसायर जल तरणी,

हो जिनजी, 

तुज मूरति मन हरणी,

भोर थता बहु शोर सुणुं हुं,

कोई हसे कोई रूवे न्यारुं,

सुखीओ सुवे ने दुखीओ रूवे,

अकल गतिए विचारुं,

हो जिनजी;

तुज मूरति मन हरणी,

भवसायर जल तरणी,

हो जिनजी, 

तुज मूरति मन हरणी,

खेल खलकनो बंध नाटकनो,

कुटुंब कबिलो हुं धारुं,

ज्यां सुधी स्वार्थ त्यां सुधी सर्वे,

अंत समये सहु न्यारुं,

हो जिनजी;

तुज मूरति मन हरणी,

भवसायर जल तरणी,

हो जिनजी, 

तुज मूरति मन हरणी,

माया जाल तणी जोई जाणी,

जगत लागे छे खारुं रे,

“उदयरत्न” एम जाणी प्रभु तारुं,

शरण ग्रह्युं छे में तारुं

हो जिनजी;

तुज मूरति मन हरणी,

भवसायर जल तरणी,

हो जिनजी, 

तुज मूरति मन हरणी

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