मन्दिर की उत्कृष्ट ८४ आशातना
(१) मन्दिर में नाक की लींट डालना (२) जुआ, ताश, शतरंज आदि खेल खेलना
(३) लड़ाई-झगड़ा करना (४) धनुष्य विगेरे कला सीखना (५) कुल्ले करना
(६) मुखवास, सुपारी विगेरे खाना (७) पान की पिचकारी मंदिर में थूकना (८) गाली देना
(९) टट्टी पेशाब करना (१०) हाथ, पांव, शरीर, मुंह विगेरे धोना
(११) बाल बनाना (१२) नाखून काटना (१३) खून गिराना (१४) सुखड़ी विगेरे खाना
(१५) चमड़ा, फुंसी विगेरे की चमड़ी उतारकर डालना
(१६) पित डालना (१७) उल्टी कर8ना (१८) दांत टूट जाये, उसको मन्दिर में डालना
(१९) आराम करना (२०) गाय, भैंस, ऊंट, बकरे आदि का मेल डालना
(२१ से २८) दांत, आँख, नाखून, गाल, नाक, कान, सिर तथा शरीर का मेल डालना
(२९) भूत-प्रेत निकालने की मंत्र साधना करना
(३०) राज्य विगेरे अथवा विवाद विगेरे के सांसारिक कार्य के लिये पंच
इकट्ठा करना (३१) स्वयं के घर व्यापार के हिसाब लिखना
(३२) राजा के कर की अथवा खुद के भाग को बेचना (३३) स्वयं का धन मन्दिर में रखना
(३४) पांव पर पांव चढ़ाकर बैठना (३५) कंडे थापना (३६) कपड़े सुखाना
(३७) सब्जी विगेरे उगाना या मूंग आदि सुखाना (३८) पापड़ सुखाना
(३९) वडी, खीरा, सब्जी, आचार सुखाना (४०) राजा विगेरे के डर से मन्दिर में छुप जाना
(४१) संबंधी की मृत्यु सुनकर रोना (४२) विकथा करना (४३) शास्त्र अस्त्र यन्त्र बनाना (४४)
गाय भैंस विगेरे रखना (४५) ठंडी में तपाना (४६) खुद के काम के लिये मन्दिर की जगह रोकना
(४७) रुपये पहचानना (४८) अविधि से निसीही कहे बिना मन्दिर में जाना (४९ से ५१ तक) छत्र, जुते और
शस्त्र, चामर विगेरे वस्तु मन्दिर में ले जाना (५२) मन को एकाग्र नही रखना
(५३) शरीर पर तेल विगोरा लगाना (५४) फूल विगोरा सचित्त मंदिर के बाहर रखकर नहीं आना
(५५) हमेशा पहनने के आभूषण चूड़ी विगेरे पहने बिना (शोभा बिना) आना
(५६) भगवान को देखते ही हाथ नहीं छोड़ना (५७) अखण्ड वस्त्र खेस पहने बिना आना
(५८ मस्तक पर मुकुट पहनना (५९) सिर पर पगड़ी-साफा बांधना
(६० हार विगेरे शरीर पर से दूर नहीं करना।
(६१) शर्त लगाना (६२) लोग हसे ऐसी चेष्टा करना
(६३) महेमान विगेरे को प्रणाम करना (६४) गुल्लीडंडा खेलना (६५) तिरस्कार वाले वचन बोलना
(६६) देनदार को मन्दिर में पकड़ना तथा रुपये निकलवाना
(६७) युद्ध करना (६८) चोटी बनाना (६९) पलाठी लगाकर बैठना
(७०) पांव में लकड़ी की खड़ाऊ पहनना (७१) पांव लम्बे-चौड़े करके बैठना
(७२) पांव दबाना (७३) हाथ-पांव धोने के लिये बहुत पानी डालकर गंदगी करना
(७४) मन्दिर में पैर या कपड़े की धूल झटकना (७५) मैथुन क्रीड़ा करना (७६) खटमल जूं विगेरे की धूल झटकना
(७७) भोजन करना (७८) शरीर का गुप्त भाग बराबर ढांके बिना बैठना, दिखाना
(७९) डॉक्टरी करना (८०) व्यापार लेन देन करना (८१) बिस्तर बिछाना, झटकना
(८२) पानी पीना या मन्दिर के पीने का पानी लाना
(८३) देवी देवता का स्थान करना (८४) मन्दिर में रहना।
ऊपर कही हुई सभी आशातना से दूर रहकर पाप से बचना चाहिये ।
अपनी आत्मा की जो शातना करे वह आशातना ।
अर्थात् आत्म गुणों का नाश करे वह आशातना ।
उसके फल रुप में इस जीवन में दुःख, दर्द, असमाधि मरण, नरकादि दुर्गति में जाना पड़ता है
सावधान |