मंत्र :
छत्र-त्रयं तव विभाति शशांक-कांत-
मुच्चैः स्थितं स्थगित-भानु-कर-प्रतापम् ।
मुक्ता-फल-प्रकर-जाल-विवृद्ध-शोभं,
प्रख्यापयत्-त्रिजगतः परमेश्वरत्वम् ॥
मंत्र संख्या : प्रतिदिन 1 माला
परिणाम : राज्य सम्मान दायक व चर्म रोग नाशक |