व्हाला आदिनाथ में तो पकड्यो तारो हाथ,
मने देजो सदा साथ.. हो.. व्हाला आदिनाथ हो
आव्यो तुम पास.. लइ मुक्तिनी एक आश,
मने करशो ना निराश.. हो.. व्हाला आदिनाथ हो… (१)
तारा दर्शनथी मारा नयनो ठरे छे.. नयनो ठरे छे,
रोमे रोमे आ मारा पुलकित बने छे.. बने छे,
भवोभवनो मारो उतरे छे थाक,
हूं तो पामुं हळवाश, हो… व्हाला आदिनाथ हो… (२)
तारी वाणीथी मारुं मनडुं ठरे छे… मनडुं ठरे छे,
कर्मवर्गणा मारी क्षण क्षण खरे छे…
क्षण क्षण खरे छे,
ठरी छे मारा कषायोनी आग,
छूटे नी गांठ, हो… व्हाला आदिनाथ हो… (३)
तारा आज्ञाथी मारुं हैयुं ठरे छे… हैयुं ठरे छे,
तुज पंथे आगळ वधवा सत्त्व मळे छे… सत्त्व मळे छे,
जाय छे मारो मोह अंधकार,
खीले ज्ञान अजवाश, हो… व्हाला आदिनाथ हो… (४)
तारुं शासन पामीने आतम ठरे छे… आतम ठरे छे,
मोक्ष मार्गमां ए तो स्थिर बने छे… स्थिर बने छे,
मळ्यो तारो मार्ग, मारा केवा सद्भाग्य,
मारा केवा धन्यभाग्य, हो… व्हाला आदिनाथ हो…