प्रभुजी! मांगु तारी पास,
मारी पूरी करजो आश दादा
मांगी मांगीने मांगु एटलं, मने आवतो भव एवो आपजे… १
जन्म महाविदेहमां होय, वळी तीर्थंकर कुल होय,
पारणामां नवकार संभळाय जो, मने आवतो भव एवो आपजे…२
वर्ष आठ मुज होय, प्रभु समोसर्या होय,
उमंगे व्याख्यानमां जवाय जो,
मने आवतो भव एवो आपजे… ३
सांभळी वैरागी थवाय, वळी अनुज्ञा मळी जाय,
कोइ आवे नहिं अंतराय जो, मने आवतो भव एवो आपजे… ४
प्रभु हाथे दीक्षा थाय, हजारो साथे लेवाय,
अने चौद पूरव भणाय जो,
मने आवतो भव एवो आपजे… ५
जिनकल्पी पणं होय, उग्र अभिग्रह होय,
पास-मासक्षण कराय जो, मने आवतो भव एवो आपजे…
क्षपक श्रेणीए चढाय, घाती कर्म खपाय,
केवलज्ञान उत्पन्न थई जाय जो,
मने आवतो भव एवो आपजे… ७
सर्व कर्मक्षय थाय, छेल्ले अणसण थाय,
अंते मुक्ति पुरीमां जवाय जो,
मने आवतो भव एवो आपजे… ८
मानवभव एवो थाय, एवी करणी कराय,
पद मळी जाय जो, मने आवतो भव एवो आपजे… ९