पार्श्वजीणंदा वामाजी नंदा,
तुम पर वारी जाउ घोल घोल रे; हां! तेरा खोल खोल रे…
दूर दूर से लंबी सफरसे,
हम दरिसन आये दोड दौड रे; .. हां! दरवाजा…
करूंगा धूप धरूंगा,
फूल चढाउंगा मोल मोल रे; .. हां! दरवाजा…
तुं मेरा ठाकर में तेरा चाकर;
एक बार मुजशु बोल बोल रे…. हां! दरवाजा…
श्री शंखेश्वर सुंदर मुरत;
मुखडुं ते झाकम झोल झोल रे; .. हां! दरवाजा…
रूप निधनो “मोहन” पभणे;
रंग लाग्यो चित्त चोल चोल रे .. हां !