अजब बनी रे मेरी अजब बनी, प्रभु साथे प्रीति अजब बनी,
अजब बनी प्रभु साथे प्रीति,
तो मुज ने दुर्गतिनी शी भीति देखी प्रभुनी मोटी रीति,
पामी पूर्ण रीति प्रतीति… (१)
जे दुनियामां दुर्लभ नेह,
तें में पामी प्रभुनी रे भेट आळसुने घेर आवी गंग,
पामीयो पंथी सखर तुरंग… (२)
तिरसे पायो मानसतीर,
वाद करंता वाधी भीर चित्त चोर्यो साजननो संग,
अणचिंत्यो मल्यो चडते रे रंग… (३)
जिम जिम निरखूं प्रभु मुख नूर,
तिम तिम पाउं आणंदपूर सुणतां जनमुख प्रभुनी वात,
हरखे मारी साते रे धात… (४)
पद्मप्रभ जिनना गुणगान,
गाता लहीए शिवपदवी असमान विमल विजय वाचकनो शीश,
रामे पायो परम जगदीश… (५)