मा सरस्वती तुज नामने, जपनार जगमां छे घणा,
हुं पण जपुं तुज नामने, सन्मुख थई एक ज मना;
वरदान हो मुज ज्ञान लक्ष्मी, वृद्धि पामे सर्वदा,
मुज पर बनो सुप्रसन्न, सरस्वती भगवती देवी तमे
करूं याद ज्यारे आपने, जीभ उपर आवी बिराजजो,
अस्खलित मुज वाणी तणी, गंगोत्री वहेती राखजो;
मुज जीवनमां केवलज्ञान, सरस्वती भगवती देवी तमे.
कविजन हृदयमां वास करती, काव्य शक्ति तुं ज छे,
वकतृत्व शक्ति प्रदान करवा, सर्वदा तुं समर्थ छे;
सूरिमंत्र जापे प्रथम, विद्यापीठनी अधिष्ठायिका,
मुज पर बनो सुप्रसन्न, सरस्वती भगवती देवी तमे.