सोना रुपाना फूलडे…
सोना रुपाने फूलडे, सिद्धाचलने वधावो;
ध्यान धरी दादा तणुं, आनंद मनमां लावो. ॥१॥
पूजा करी पावन थयो, अम मन निर्मल देह;
रचना रचुं शुभ भावथी, करूं कर्मनो छेह. ॥२॥
अभविने दादा वेगळा, भविने हैडा हजूर;
तन मन ध्यान एक लगनथी, कीधां कर्म चकचूर.||३||
कांकरे कांकरे सिद्ध थया ए, सिद्ध अनंतनुं धाम;
शाश्वत गिरिवर पूजतां, जीव पामे विश्राम.||४||
दादा दादा हुं करूं, दादा वसिया दूर;
द्रव्यथी दादा वेगळा, भावथी हैडां हजूर.||५||
दुःषम काळे पूजतां, इन्द्र धरी बहु प्यार;
ते प्रतिमाने वंदना, श्वासमाहे सो वार. ॥६॥
सुवर्णगुफामां पूजतां, रत्न प्रतिमा इन्द्र;
ज्योति शुं ज्योति मीले, पूजो भवि सुखकंद. || ৩৷৷
रिद्धि सिद्धि घेर संपजे, पहोंचे मननी आश;
त्रिकरण शुद्धे पूजतां, ‘ज्ञानविमल’ प्रकाश. ॥८