Aesi Dasha Ho Bhagwan(Hindi)

Aesi Dasha Ho Bhagwan(Hindi)

ऐसी दशा हो भगवन…

 (राग : रुडां राजमहेल… ए मेरे वतन… यह है पावन…)

 ऐसी दशा हो भगवन, जब प्राण तन से निकले,

 गिरिराज की हो छाया, मन में न होवे माया,

 तप से हो शुद्ध काया, जबप्राण तन से निकले. ॥१॥

 उर में न मान होवे, दिल एक तान होवे;

 तुम चरण ध्यान होवे, जब प्राण तन से निकले. ॥२॥

 संसार दुःख हरना, जिन धर्म का हो शरणा;

 हो कर्म भर्म खरना, जब प्राण तन से निकले. ॥३॥

 अनशन को सिद्धवट हो, प्रभु आदिदेव घट हो;

 गुरुराज भी निकट हो, जबप्राण तन से निकले.||४||

 यह दान मुज को दीजे, इतनी दया तो कीजे;

 अरजी ‘तिलक’की लीजे, जब प्राण तन से निकले. ॥५॥

 

Related Articles