Shree Shatrunjay Mandan (Hindi)

Shree Shatrunjay Mandan (Hindi)

श्री शत्रुंजय मंडन

श्री शत्रुंजय मंडन, ऋषभ जिणंद दयाल,

 मरुदेवा नंदन, वंदन करूं त्रण काळ;

 ए तीरथ जाणी, पूर्व नव्वाणुं वार,

 आदीश्वर आव्या, जाणी लाभ अपार. ॥१॥

 

त्रेवीश तीर्थंकर, चढीया इण गिरि राय,

 ए तीरथना गुण, सुर-असुरादिक गाय;

ए पावन तीरथ, त्रिभुवन नहि तस तोले,

ए तीरथना गुण, सीमंधर मुख बोले. ॥२॥

 

पुंडरीकगिरि महिमा, आगममां प्रसिद्ध,

 विमलाचल भेटी, लहीए अविचल रिद्ध;

 पंचमी गति पहोंता, मुनिवर कोडा कोड,

 इण तीरथे आवी, कर्म विपाक विछोड. ॥३॥

 

श्री शत्रुंजय केरी, अहोनिश रक्षाकारी,

श्री आदिजिनेश्वर, आण हृदयमां धारी;

श्री संघ विघ्नहर, कवडजक्ष गणभूर,

 श्री ‘रविबुधसागर’, संघना संकट चूर. ॥४॥

 

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