Parmatam Parmeshawaru Jagdishawar Jinraj(Hindi)

Parmatam Parmeshawaru Jagdishawar Jinraj(Hindi)

परमातम परमेश्वरु जगदीश्वर जिनराज,

 जग बंधव जगभाण बलिहारी तुमतणी,

भवजलधि मांही जहाज. १

तारक वारक मोहनो, धारक निज गुण ऋद्धि,

सेवक अतिशयवंत भदंत रूपाळी शिववधू,

परणी लही निज सिद्धि. २

ज्ञान दर्शन अनंत छे, वळी तुज चरण अनंत;

अेम दानादि अनंत क्षायिक भावे थया,

गुण ते अनंतानंत. ३

बत्रीश वरण समाय छे, अेक ज श्लोक मोझार,

अेक वरण प्रभु तुज न माये जगतमां,

केम करी थुणीअे उदार ? ४

तुज गुण कोण गणी शके ? जो पण केवल होय;

आविर्भावथी तुज सयल गुण माहरे,

प्रच्छत्र भावथी जोय. ५

श्री पंचासरा पासजी, अरज करुं अेक तुज,

आविर्भावथी थाय कृपानिधि,

करुणा कीजे जी मुज. ६

श्री जिन उत्तम ताहरी, आशा अधिकी महाराज, 

‘पद्मविजय’ कहे अेम लहुं, शिवनगरीनुं

अक्षय अविचल राज. ७

 

 

 

Related Articles