Veerji Suno Ek Vinti Mori (Hindi)

Veerji Suno Ek Vinti Mori (Hindi)

वीरजी सुणो अेक विनति मोरी, वात विचारो तुमे धणी रे,

 वीर मने तारो महावीर मने तारो, भवजल पार उतारोने रे,

वीरजी… १

परिभ्रमण में अनंता रे कीधा, हजुये न आव्यो छेडलो रे,

 तुमे तो थया प्रभु सिद्ध निरंजन, अमे तो अनंता भव भम्या रे,

वीरजी… २

तमे अमे वार अनंती भेळा, रमिया संसारीपणे रे,

 तेह प्रीत जो पूर्ण पाळो, तो अमने तुम सम करो रे,

वीरजी… ३

 तुम सम अमने जोग न जाणो, तो कांई थोडुं दीजीअे रे,

भवोभव तुम चरणोनी सेवा, पामी अमे घणुं रीझीअे रे,

वीरजी… ४

 इन्द्रजालीओ कहेतो रे आव्यो, गणधर पद तेहने दीयो रे,

 अर्जुनमाली जे घोर पापी, तेहने जिन तमे उद्धयॊॆॅ रे,

वीरजी… ५

 चंदनबालाअे अडदना बाकुला, पडिलाभ्या तुमने प्रभु रे,

 तेहने साहुणी साची रे कीधी, शिववहु साथे भेळवी रे,

वीरजी० ६

चरणे चंडकोशीओ डसीओ, कल्प आठमे ते गयो रे,

गुण तो तमारा प्रभु मुखथी सुणीने, तुम सनमुख आवी रह्यो रे,

वीरजी० ७

निरंजन प्रभु नाम धरावो, तो सहुने सरीखा गणो रे,

भेदभाव प्रभु दूर करीने, मुजशुं रमो अेकमेकशुं रे,

वीरजी० ८

मोडा वहेला तुम ही ज तारण, हवे विलंब शा कारणे रे,

ज्ञान तणां भवना पाप मिटावो, वारी जाउं वीर तोरा वारणे रे,

वीरजी० ९

 

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