तुमे तो भले बिराजो जी.
श्री सिद्धाचलके वासी साहिब भले बिराजो जी.
मरुदेवीनो नंदन रूडो; नाभिनरीन्द मल्हार;
जुगला धर्म निवारण आव्या पूर्व नवाणुं वार.
तुमे तो भले बिराजोजी. १
मूळनायकनी सन्मुख राजे, पुंडरीक गणधार;
पंच कोडीशुं चैत्री पूनम वरिया शिववधू नार. तुमे०२
सहस कोटी दक्षिण बिराजे, जिनवर सहस चोवीश;
चउदसें बावन गणधरनां, पगलां पूजो जगीश.तुमे०३
प्रभुनां पगलां रायण हेठे, पूजी परमानंद,
अष्टापद चउवीश जिनेश्वर, सम्मेत वीश जिणंद. तुमे०४
मेरुपर्वत चैत्य घणेरां, चउमुख बिंब अनेक,
बावन जिनालय देवल निरखी, हरख लहुं अतिरेक.तुमे०५
सहस्रफणा ने शामळा पासजी, समवसरण मंडाण,
छीपावसी ने खरतरवसी कांई, प्रेमावसी प्रमाण. तुमे०६
संवत अढार ओगणपचासे, फागण अष्टमी दिन;
उज्ज्वल पक्षे उज्ज्वल हुओ, गिरि फरस्या मुज मन.तुमे ०७
इत्यादिक जिनबिंब निहाळी, सांभरी सिद्धनी श्रेण;
उत्तम गिरिवर केणीपेरे विसरे? ‘पद्मविजय’ कहे जेण. तुमे०८