हुं निकली प्रभुना मारगडे, छोडीने मारा घर परिवार,
मारो मारगडो उजमाल बने, अंतरना आपो आशीर्वाद,
हुं निकली प्रभुना मारगडे, अंतरना आपो आशीर्वाद…(१)
स्नेहीओ, सगा ने स्वजनजनो, छे आ ज जनमना साथी ओ,
तुं भवोभवनो संगाथी छे, हवे तुं ज प्रभु मारो परिवार,
मारो मारगडो उजमाल बने, अंतरना आपो आशीर्वाद…(२)
संसार उपाधि एवी छे, ज्यां सुखनुं नामनिशान नहीं,
संयम उपवन छे गुणोनुं, दुःखनुं ज्यां कोई स्थान नहीं,
शीख आपे सुखना मारगनी, एवो प्यारो लागे गुरुकुलवास,
मारो मारगडो उजमाल बने, अंतरना आपो आशीर्वाद…(३)
विरति व्रतने अवधारीने माणुं, हुं साचा सुखनो स्वाद,
मारो मारगडो उजमाल बने, अंतरना आपो आशीर्वाद…(४)