अम आंगणीये अवसर आयो, आनंद हर्ष छवायो जो,
पूरो हुवो है वर्षीतप तो, पुण्य हुओ सवायो,
सजाओ आंगना रे, के तोरण बांधना रे,
वर्षीतप पारणा रो, उत्सव हर्षोल्लास बधायो…(१)
तप धर्म का जय जयकारा, घर-घर ऐसा छाया जो,
उदयप्रभसूरिजी के हाथो, वर्षीतप फल पाया जो,
दर्शनाप्रभा के हितवचन से, तप की प्रेरणा पायो,
सजाओ आंगना रे, के तोरण बांधना रे,
वर्षितप पारणा रो, बालवाडा गांव में अवसर आयो…(२)
मंजुबहन राजेन्द्रजी को, वर्षीतप मन भायो जो,
नागोत्रा-सोलंकी परिवार में, तपो दीपक प्रगटायो जो,
दादा ऋषभ के आशीष लेकर, वर्षीतप करते साकार,
आओ आओ जी रे, ढोल बजाओ जी रे,
पारणा कराओ जी रे, अवसर है अलबेलो आयो…(३)
हे बादल बरसे प्रेम से ऐसा तपो प्रभाव,
हे अनुमोदना करते सभी हाथ जोड नर नार…(४)