विरती विना केम रहु रे,
विरती विरह केम सहु रे,
विरती साथे ज करवो मारे जीवन निर्वाह,
मनमां जागी विरती नी चाह,
क्यारे करीश हु विरती विवाह…(१)
वीर विभुना विषयो नी विनाशिनी,
विश्वना वीरोंनी विकासना वाटे वाहिनी,
ए विरती शुं बाँधी में एवी गाढ़ प्रीति,
एने वरी लउ तो जाए दुःखना वाणा विती,
ए प्रीत नो प्रवाह छे मनमां मारा अथाग,
विरती विना केम रहु रे, विरती विरह केम सहु रे,
मनमां जागी विरती नी चाह,
क्यारे करीश हु विरती विवाह…(२)