मारा भवना बंधन कापोने, तमे रजोहरण मने आपोने,
संयम जीवन मने खूब गमे, हवे रहेवुं छे बस तारी कने,
संसारनी वृद्धि करनारा, तमे दूर करो एवा पापोने,
मारा भवना बंधन…(१)
सर्वस्व समर्पणनी यात्रा, आ छे संयम की परिभाषा,
ना दीनता हो प्रतिकुलतानी, ना अनुकुलतानी अभिलाषा,
तुं गौतम तुं मारो वीर बने, हवे रहेवुं छे बस तारी कने,
जीवननी दिशाने बदलनारी, एवी मनोदशा मेने आपोने,
मारा भवना बंधन…(२)
संयम जीवन में मस्त रहुं, मेरे कर्मों को मैं अस्त करूं,
व्रत पालन में मैं चुस्त बनुं, स्वाध्याय में हरपल व्यस्त रहुं,
गुरु आज्ञा मारूं मंत्र बने, हवे रहेवुं छे बस तारी कने,
हुं उदय करूं नव जीवननुं, एवा उत्तम आशीष आपोने,
मारा भव ना बंधन…(३)