मारे चढवी छे संयम पगथार रे,
सगपण संचमथी…
मैं तो मेल्यो सर्वे संसार रे,
सगपण संयमथी…(१)
संयम जीवन छे खांडानी धार रे,
माथे पंच महाव्रतनो भार रे,
देजो अंतरना आशिष अपार रे,
सदा गूंजे समर्पण रणकार रे,
मारे चढवी छे…(२)
महामूलो छे मानव अवतार रे,
पुरव पूण्ये मळ्या सुसंस्कार रे,
छोडी जावुं हवे तो घरबार रे,
मारो आतम बन्यो अणगार रे,
मारे चढवी छे…(३)