महाव्रतनी मोजमां आ, मुनि मस्त छे…
वीर दीक्षा लेवा थनगने छे, विरतीना भावोमां रमे छे,
मोक्षदाता प्रभुना चरणमां, भेट ए जीवननी धरे छे,
मुक्तिनुं छे लक्ष्य आंखे, हैयामां हर्ष धरे छे,
महाव्रतनी मोजमां आ, मुनि मस्त छे…(१)
ओघो लई आनंदे झुमे छे, केशनुं लुंचन ए करे छे,
वीरताथी उछळता ऊमंगे, वेश ए महावीरनो धरे छे,
सद्गुरुना चरणोमांहे, ऐनुं मन स्वस्थ रहे छे…
महाव्रतनी मोजमा आ, मुनि मस्त छे…(२)
सत्वथी व्रतने उच्चरे छे, संघना आशिष ए लहे छे,
छोडी माया ने मोह जगनुं, वीरनो वारस ए बने छे,
संयमीना मन गगनमां, रागनो अस्त रहे छे…
महाव्रतनी मोजमां आ, मुनि मस्त छे…(३)
ओ विरला रे, तुज हितनी प्रीते,
आशिषनुं सरवर, छलक्युं छे आजे,
गुरुकुल छे उपवन, तुं थजे फुवारो,
गुरुवर चरणो छे, शिवनगर सहारो….(४)
त्याग समतामय जीवन छे, मोह ममतानुं मरण छे,
चंद्र जेवा सौम्य मुनिवर, आत्ममां व्यस्त छे…
महाव्रतनी मोजमां आ, मुनि मस्त छे…(५)