आवो रे आवो रे…
भांडवपुर पधारो रे, श्रीसंघ पधारो रे..
तत्वत्रयी महोत्सवे, श्रीसंघ पधारो रे..(१)
स्वागत मैं सजाओ भांडवपुर,
भक्त पधारे लेके भावो का पुर,
भगवान के तुम हो भक्त महान रे,
वो भक्त है हम भक्तों के
भगवान रे, आवो रे….(२)
उपकार तेरा “नित्य” हम समरे,
“जय”कार तेरा हर श्वास में भरे,
तुं राम, तुंही श्याम, मैं शबरी, मैं मीरा,
समाधि की स्पर्शना,
समाधान का दर्शन है, आवो रे…(३)
गुरु गच्छ की शान है,
जयंत गुरु महान है,
कलिकाल के भगवान है,
जयंत गुरु महान है,
“तरुण परिषद्” के प्राण है,
जयंत गुरु महान है,
“आयुष्यभर” गान है,
जयंत गुरु महान है…(४)