आंखो आ भीनी-भीनी, तारा विरहमां,
हैयुं रहे छे आ उदास..
प्रीतडी आ जुनी-जुनी, तोडीने क्षणमां,
चाली तुं गुरुवरनी पास..
ते तो शमणां सजाव्या तारा रोम-रोममां,
वियोग तारो मने सहेवायना..१
तने व्हालथी वधावुं, मारी बेनी मीठलडी,
मने छोडीने केम जाय तुं,
तोडी प्रीतलडी,
नेमनी प्रीते घेली, मारी बेनी मीठलडी,
सद्गुरु संगे प्यारी-प्यारी,
जोडी प्रीतलडी..२
साथे-साथे पिताना खोळे रम्यतां,
वातो-वातोमां मीठं-मीठं झगड्यातां,
साथे-साथे माताना हाथे जम्यातां,
हाथोमां हाथ पकडी सफरमां भम्यातां,
अने ब्राह्मी सुंदरी जेवी,
छे आपनी प्रीतलडी,
मने छोडीने केम जाय तं,
मारी बेनी मीठलडी…
नेमनी प्रीते घेली, मारी बेनी मीठलडी,
सद्गुरु संगे प्यारी-प्यारी,
जोडी प्रीतलडी..३
तुं प्रेम छे मारो, हुं तारी प्रीतलडी,
नयनो तुं मारा, हुं तारी किकी मीठलडी,
तुं व्हालनो दरियो,
हुं तारी सरिता मीठलडी,
तने व्हालथी वधावुं,
मारी बेनी मीठलडी…४
तारी प्यारी आंखोमां प्रभुनी प्रतीति,
सत्व जगाडी छोडी स्वजनोनी प्रीति,
तारा प्यारा होठो पर संयमनी गीती,
पगले-पगले छोडी सहु संसारी रीति,
जिनशासन छे तारूं,
तुं बने शासननो तारो,
तारा सत्वने लाखो वंदन छे,
मारी बेनी मीठलडी…
नेमनी प्रीते घेली,
मारी बेनी मीठलडी,
सद्गुरु संगे प्यारी-प्यारी,
जोडी प्रीतलडी..५
तने गुरुकुल छे व्हालुं,
तुं बने गुरुकुलनी वहाली,
छलकावीने तुं चाली,
जीवप्रेमनी प्याली,
तारा प्रेमनुं अभिनंदन छे,
मारी बेनी मीठलडी,
तने व्हालथी वधावुं,
मारी व्हेनी मीठलडी…६