Param Panth Keree Aash (Hindi)

Param Panth Keree Aash (Hindi)

परमपंथ केरी आश,

मन थयुं अधीर आज,

तरवाने जंगी जहाज,

शरण ताहरूं….

 भवसमुद्र छे अगाध,

डूबतो हुं हाथ झाल,

 तार गुरू तार भने, शरण ताहरूं….

शरण साचुं रे, तारूं शरण साचुं रे…

 गच्छ शिरताज गुरू, शरण साचुं रे… १

 

मोहनी आंखे जगने जोउं,

मुजने  हुं भूल्यो,

 देहना पिंजरमांहे पुरायो,

भवमां खूब भम्यो,

हो..तत्त्वनुं अंजन करो गुरूवर,

आंतर द्रष्टि घो,

 तारा भरोसे नाव मारी,

युगभूषणसूरिराज रे,

शरण साचुं रे, तारुं शरण साचुं रे…

 गच्छ शिरताज गुरू, शरण साचुं रे… २

 

हैये मने लाग्यो राज,

तुज वचननो रंग आज,

 तार गुरू तार मने, शरण ताहरूं,

परमपंथ केरी आश,

मन थयुं अधीर आज,

तरवाने जंगी जहाज, शरण ताहरूं…

 शरण साचुं रे, तारूं शरण साचुं रे…

 शरण साचुं रे, तारुं शरण साचुं रे… ३

 

 हो.. सिद्धिनां महापंथमां जो,

तारो मळे सथवारो,

 सिंहबाळ आ सिंहना पगले,

थाशे एके हजारो,

 शिवरस मुज पर वरसावो,

आतम सत्त्वने अजवाळो,

हवे न छोडुं हुं शरण ताहरु,

चरणे मुजने राख,

मारग भूली न जाउं गुरूवर,

कला एवी शीखवाड,

 आतम शत्रुओने पीछाणुं,

आपो एवी आंख,

 जीतवा मोहने तारी संगे,

करूं विजय प्रस्थान रे,

शरण साचुं रे, तारुं शरण साचुं रे…

 गच्छ शिरताज गुरू, शरण साचुं रे…. ४

 

महापुण्योदये गुरूवर, आप मळ्या,

जाणे साक्षात तीर्थंकर मळ्या,

गुणोथी ओवारी गयुं हृदय,

हवे जीवन वितावुं आपना शरणमां… ५

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