मंगल करवा धन्य बनवा,
पधारो तपस्वीनुं पद पामवा,
अठ्ठम तप करवा,अठ्ठम तप करवा,
सहु चालो जईए करवा,
अठ्ठम तप करवा…(१)
शुभ अवसर आव्यो छे आजे,
कर्मअरीने जीतवा काजे,
तप त्याग ने मुक्ति काजे,
नीकळो भविया रे,
कलिकालनो कल्पतरु ज्यां,
शंखेश्वरनुं धाम वसे त्यां,
पार्श्व प्रभुनो महिमा जाणी,
नीकळो भविया रे,
आवा स्थळमां, पावन स्थळमां,
पधारो आहार संज्ञाने तोडवा,
अठ्ठम तप करवा…(२)
मानव भवनो महिमा भारी,
अठ्ठम तप करवानी वारी,
पार्श्व प्रभु छे जगजयकारी,
सुणजो भविया रे,
नेमिसूरिना आशिष पाया,
प्रबोधदादानी शीतळ छाया,
कायानी पण तोडवा माया,
सुणजो भविया रे,
परम स्थळमां, प्रसिद्ध स्थळमां,
पधारो देव गुरु कृपा झीलवा,
अठ्ठम तप करवा…(३)
पार्श्व प्रभुना पुण्य प्रभावे,
लाखो नर नारियो आवे,
अठ्ठम तपनी धूणी धखावे,
समजो भविया रे,
तमे पण आवो सहुनी साथे,
देव गुरुने राखी माथे,
आमंत्रण बे जोडी हाथे,
समजो भविया रे,
पूर्ण करवा, तपथी तपवा,
पधारो नम्र बनी सहु तरवा,
अठ्ठम तप करवा…(४)