बिन मांगे गुरुवर
सबकुछ है दिया,
उसके बदले में मुझसे
न कुछ है लिया..(१)
तेरे हाथो से कभी रजोहरण मिले?
सारे जनमोजनम और मरण टले….
जिस बात को में बरसो से पूछ न सका,
बातों-बातों में ये तुजसे
ही पूछ है लिया..
बिन मांगे गुरुवर सबकुछ है दिया
उसके बदले में मुझसे न कुछ है लिया..
कर्मों का काल बनती, संयम दिवाली….
आतम की ढाल बनती,
संयम दिवाली….(२)
दुनियावालो से पंगा,
जैसे फाँसी का फंदा,
मर-मर के जीना ही फिझूल है,
संयम सुख का समंदर,
मोती है इसके अंदर,
इस रस्ते चलना ही कबूल है…(३)
होगा मेरा कभी नहीं करूं त्याग उसका,
जैसे माता सियाजी
के लवकुश ने किया,
बिन मांगे गुरुवर सबकुछ है दिया,
उसके बदले में मुझसे न कुछ है लिया..
संयम दिवाली, संयम दिवाली….
ज्योत जगाती है संयम दिवाली…
संयम दिवाली, संयम दिवाली…
दोष दफनाती है संयम दिवाली….(४)