Chakravarteenu Tej Dharee (Hindi)

Chakravarteenu Tej Dharee (Hindi)

चक्रवर्तीनुं तेज धरी,

सिद्धारथ राजा आव्या रे,

 परमपिताना पिता थवानुं,

महाभाग्य पु लाव्या रे…

 

दीप्तिमंत काया उपर,

गोशीर्ष चंदननो लेप कर्यो,

चूर्ण सुगंधित देहे छांटयुं,

हार फूलोनो कंठे वर्यो,

सोनेरी आभूषण मणि,

मंडित देहे बहु झळहळतां,

 मोंघेरा वस्त्रोमां दीपे,

रत्नो जेली उज्ज्वलता,

धारदार लांबी आंखोमां,

गंगा जेवी निर्मळता,

क्षत्रियकुंडमां घरे-घरे,

आनंद अमृत वरसाव्यां रे,

 परमपिताना पिता थवानुं,

महाभाग्य ए लाव्या रे… १

 

मस्तक परनां महामुगुटमां,

छे सोनेरी तेजनी धार

 मोटा मोटा मोतीवाळा,

कुंडळनो काने चमकार,

 छाती उपर अढार सेरो,

नव सेरो त्रण सेरो हार,

हिरण्यमय मुद्रिकाओ,

आंगळीए बेठी से मनहार,

 सबळ भुजा पर बाजुबंध,

हाथमां वीरवलय समुदार,

 मैत्री प्रमोद करुणा उपेक्षा,

भावो हैये जगाव्या रे,

परमपिताना पिता थवानुं,

महाभाग्य ए लाव्या रे… २

 

 

सिंहनी केसरा जेवा लांबा,

केशथी ढांक्यो स्कंध विस्तार,

वाळना गुच्छा पर झूले छे,

पुरुषोचित पुष्पालंकार,

 विशाल भाल प्रदेशे लात,

कुमकुमे तिलक अक्षत श्रीकार,

 धनुष्य जेवी भव्य भवांओ,

श्यामरंगी से भरावदार,

दीपशिखा जेवी नासिका,

महाप्रतापनी से छडीदार,

पुण्यानुबंधी पुण्योदय,

रोम-रोम छलकाव्या रे,

परमपिताना पिता थवानुं,

महाभाग्य ए लाव्या रे… ३

 

सैंकडो सैंकड़ो ध्वजा एमना,

महेल उपर निशदिन लहेराय,

हजार हजार सेवक एमनी,

आगळ पाछळ ऊभा देखाय,

 लाखो लाखो लोकनी भीडथी,

एमनुं आंगणुं रोज भराय,

करोड करोड सुवर्णमुद्रानी,

लेणदेण तो कायम थाय,

 अरबो खरबोनी संपतिमां,

पण निरहंकार जणाय,

 अगणित सत्कार्योथी तन-मन-धन

जीवन शोभाव्या रे,

परमपिताना पिता थवानुं,

महाभाग्य ए लाव्या रे… ४

 

ज्ञात कुळे अने काश्यप गोत्रे,

एमनी यशकीर्ति छेअपार,

 महा सौभाग्य शाळी,

त्रिशलाजी संगे जीवन सहचार,

 नंदीवधॅन पुत्र से विद्या वंत,

पराक्रमनो अवतार,

 सुदर्शना पुत्री से सर्वोतम,

लागणीओनो भंडार,

भावि तीर्थंकर सुपार्श्वजी,

बांधव से हैयानो हार,

 एक ज महेलमां बे-बे,

तीर्थंकर जीव वसाव्या रे,

परमपिताना पिता थवानुं,

महाभाग्य ए लाव्या रे… ५

 

कविओ बिरुदावली ललकारे,

पगले पगले मंगल माळ,

आजु बाजु चामर झूले,

मस्तक उपर छत्र विशाळ,

 महामंत्री सेनापति श्रेष्ठी,

सार्थवाह सैनिक समुदाय,

पाछळ पाछळ चाल्या आवे,

राजेश्र्वरनी जय जय गाय,

राजसभामां ईन्द्रनी जेम ज,

सिंहासने बिराजित थाय,

 नंदप्रभा दरबारे, “देवधिॅ”

ना दीप दीपाव्यां रे,

 परमपिताना पिता थवानुं,

महाभाग्य ए लाव्या रे… ६

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