हे…कलिकालनी आ धरती,
ज्यां पापो थाय बहु जोर,
आवा काळमां जे समाधि अर्पे,
ए पार्श्व प्रभुने वंदु कर जोड… (१)
शंखेश्वरा प्रभु शंखेश्वरा…
(शंखेश्वरा) शंखेश्वरा प्रभु शंखेश्वरा,
समाधि आपे शंखेश्वरा…. (२)
तन-मननी शांति आपे,
दुःखो सहुना कापे,
पार्श्व प्रभु सहुना प्यारा,
ए छे सहुथी न्यारा,
प्रभु पार्श्व प्यारा,
शंखेश्वरा प्रभु शंखेश्वरा…. (३)
यादवो केरी जरा हरनारी,
पार्श्व प्रभुनी मूर्ति अलगारी,
दौडी-दौडी सहु पूजे नरनारी,
पार्श्व प्रभुनी मूर्ति मनोहारी,
तन-मननी शांति आपे,
दुःखो सहुना कापे,
पार्श्व प्रभु सहुना प्यारा,
ए छे सहुथी न्यारा,
प्रभु पार्श्व प्यारा,
शंखेश्वरा प्रभु शंखेश्वरारा… (४)
पार्श्व प्रभुनुं नाम ज्यां आवे,
अठ्ठम करवा भावना जागे,
तप-जप ध्याननी धारा वहावे,
आतम आ’नंदी’ मंगल पावे,
तन-मननी शांति आपे,
दुःखो सहुना कापे,
पार्श्व प्रभु सहुना प्यारा,
ए छे सहुथी न्यारा, प्रभु पार्श्व प्यारा,
शंखेश्वरा प्रभु शंखेश्वरा… (५)