पर्व पर्युषण आया हैऽऽ,
पर्व पर्युषण आया हैऽऽ,
घर-घर में खुशियां लाया हैऽऽऽ,
पर्वों का राजा कहलाये,
हम जैनों ने मिल पाया है॥ टेक ॥
ये शाश्वता का पर्व है,
आगम में जिसका बखान है,
धर्म ध्यान और क्षमा दान,
ये पर्व बड़ा महान है,
जिन मंदिर और उपाश्रय में,
प्रभु भक्ति का रंग छाया है,
पर्व पर्युषण आया है,
घर-घर में खुशियां लाया है॥१॥
देखो चारों और बहारें है,
बड़े सुन्दर ये नजारे है,
इस पर्व जैसा कोई पर्व नहीं,
देखो जागे भाग्य हमारे है,
ये आठ दिवस का उत्सव है,
जिनवाणी का महोत्सव है,
हमें मिल कर इसे मनाना है,
इस पर्व को दिल में बसाना है,
इस पर्व को दिल में बसाना है – (३),
हमें प्रभुवर रंग, रंग जाना है,
पर्व पर्युषण आया है,
घर-घर में खुशियां लाया है॥२॥
आओ सब प्रेम से मिलकर के,
पर्व पर्युषण मनायेंगे,
हम राग द्वेष को त्याग दिलों में,
समता की ज्योत जगायेंगे,
“दिलबर” आओ कर लें नमन,
ये पर्व जो द्वारे आया है,
पर्व पर्युषण आया है,
घर-घर में खुशियां लाया है॥३॥