जय हो जय हो गुरु जय हो,
भव समुद्र पार काजे,
बैठे सयंम नाव,
गुरु शक्ति पात मिलजो,
अन्तरा शुभ भाव…(१)
आचार संपन्न हो वैरागी,
प्रतिभा संपन्न बड़े हो त्यागी,
मधुर भाषीं आप निरागी,
आप बने शासन अनुरागी,
गणिपद्गी महोत्सव आया…
शुभ अवसर मनोहर अवसर,
आनंदकारी कल्याणकारी…(२)
पात्रता का प्रादुष्करण,
करते है गुरुराज,
योग्यता अविष्करण,
के आप हो सिरताज…(३)
इंद्रियों से बने निराग,
सगुण का चमका चिराग,
प्रभु प्रेम का बड़ा अनुराग,
मनमें है वैराग,
जय हो मुनिराज,
जय हो गणिराज,
मोक्ष महल में करना तुम राज,
श्री संघ आपको आज देता बधाईयां…
शुभ अवसर मनोहर अवसर,
आनंदकारी कल्याणकारी….(४)
जितेंद्र-गुणरत्नसूरिजी
महका है गड़वाया,
पद्मनिपुणरत्नसूरिजी
करजो संयम रसिया,
कर्म खपैया, अलख जगैया,
चिदानन्द की मोज मनैया,
त्रिलोक बंधु परिवार को आशीष दैया…
शुभ अवसर मनोहर अवसर,
आनंदकारी कल्याणकारी….(५)