अपने गुरु में
छवि दिखने लगे,
जब भगवान की,
तब यात्रा शुरू होती है,
जीवन के उत्थान की…(१)
चलो पेपराल भूमि से
भाण्डवपुर के धाम…
जस यात्रा है मेरे गुरु
गच्छ की शान….
नित्यसेनसूरिजी की
प्रेरणा महान,
जस यात्रा है त्रिस्तुतिक
गच्छ की शान…(२)
त्रिस्तुतिक गच्छ में
आये स्वर्णिम पल,
गुरु जन्मभूमि से
स्वर्गभूमि पैदल,
गुरु के ऋण चुकाने
का एक अरमान,
चलो पेपराल…(३)
पुण्य सम्राट का
साम्राज्य मिला,
छ’रि पालित संघ
जिनाज्ञा में चला,
शुद्ध विधि के होते है
शुभ परिणाम,
चलो पेपराल…(४)
निश्रा गच्छनायक
नित्यसेनसूरि की,
कई तीर्थ भूमि
की होगी सेवाभक्ति,
सद्गुरु का सानिध्य,
प्रदीप का कल्याण,
चलो पेपराल…(५)