पंचम कालमें वीर जैसी,
साक्षात जिसमे छबी है,
सिंह जैसे सत्त्वशाली,
पंचम कालके शूरवीर है,
चलो करे उनकी रक्षा,
जिनशासन की सुरक्षा,
पंच महाव्रतों को धरनार,
जिनवचन के पालनहार,
एसे हमारे श्वेतवृंद के संग,
करे विहार हम…
चले विहार में हम,
करे विहार संग,
वीर सेना है हम,
रंगे उनके ही रंग…(१)
हमारी लापरवाही से ही,
शासन को है चोट पड़ी,
महान गुणोंके धारक की,
शासन को है खोट पड़ी,
कब तक सहेंगे हम,
कब तक सोयेंगे हम,
एक जुट होकर अब,
संकल्प करेंगे हम,
जुड़कर वीरसेना में हम,
इतिहास नहीं दोहरायेंगे,
शासन की धरोहर को,
अब मिलकर हम बचायेंगे,
एसे हमारे श्वेतवृंद के संग,
करे विहार हम…
चले विहार में हम,
करे विहार संग,
वीर सेना है हम,
रंगे उनके ही रंग…(२)
पंचम पद की साधना,
पंचम काल में जो करे,
धन्य है वो सभी आत्मा,
जो प्रभु की आज्ञा घरे…(३)
• धून •
सभी जीवोंकी रक्षा करने,
निकले है वो वीर,
प्रशंसा हो चाहे हो निंदा,
वो रहते है समधीर,
जिनवचन पालन में,
जिनका जीवन है अर्पण,
“योग सेवक” वो वीर आतम को,
सदा है समर्पण.