कारुण्यनी वर्षी, अनहद छोळो,
संताप सहुनो पाड्यो तें मोळो,
प्रसरी तुजथी मनभर शांति,
तृप्ति सलूणी मनहर कांति,
अनुमोदना… तारा गुणोनी…(१)
सार्थ सहायक! मुक्तिए पहोंचे,
माहण! आंतर शत्रु दबोचे,
गोपेन्द्र ! जीवोने अभय-प्रदान,
निर्यामक! तें साचव्युं सुकान,
अनुमोदना… तारा गुणोनी…(२)
शुभ वर्तन शुभ व्यवहार,
उच्चार ने शुभ विचार,
निखिल जगति सकल शुभनी,
प्रसिद्धि तुज थकी,
विश्वनो मूल आधार,
वात्सल्यनो वळी परिवार,
जेम विना अपवादे एनी,
प्रसक्ति तुज थकी,
दादा! तारी…तो महेर छे,
उत्कर्षनी लहेर छे,
मांगल्यनुं शहेर छे,
अनुमोदना… तारा गुणोनी…(३)
मम-परनी भेदक ममता,
छोडीने धारी समता,
जग जीवने निज जन्मथी,
आनंदित जे करे…
जाणे प्रगटयो अंबर-दीवो,
जेना शरणे सवि भवि जीवो,
शुभ कल्याण हेतुं,
केवल-लक्ष्मी जे वरे…
आ तो करुणानुं… कवन छे,
पावित्र्यनो पवन छे,
भावनानुं भवन छे,
अनुमोदना… तारा गुणोनी…(४)
ज्ञान अनंतुं दृष्ठि समस्त,
क्षायिक समकित वीर्य प्रशस्त,
परमानंदी विघन-विनाशी,
अकल अरूपी तुं अविनाशी,
अनुमोदना… तारा गुणोनी….(५)
अनुतर पुण्यनी राशि,
अतिशय अद्भुत विलासी,
मनवांछित-सिरि-निधान
बिरूद, तुं वहे…
निराग विराग अविकार,
अहंकार नहीं ममकार,
भव-भव संचित क्लेशनो
कचरो, तुं दहे….
तुं तो दोषोनुं….मरण छे,
आनंदनुं झरण छे,
मंडननुं शरण छे,
अनुमोदना… तारा गुणोनी…(६)