रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या…
जाणे प्रभुनो मळ्यो सहवास,
गुरुमाँ एवा मळ्या…
जाणे प्रभुनो मळ्यो सहवास,
सद् गुरु एवा मळ्या….
रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या…(१)
नयना करुणा रसथी भरेला,
प्रभुशासन आज्ञाने वरेला,
ज्ञान-भक्तिनो सुरीलो जे प्रास,
सद् गुरु (गुरुमाँ) एवा मळ्या…
रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या…(२)
शब्दों जेना मंत्र बने छे,
आभा जेनी यंत्र बने छे,
जेना ग्रंथो बने उपन्यास,
सद् गुरु (गुरुमाँ) एवा मळ्या…
रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या…(३)
सर्वस्विकारनी सूरत लागे,
आनंदघनजीनी मूरत लागे,
हैयुं रगतु रोमांचथी रास,
सद् गुरु (गुरुमाँ) एवा मळ्या….
रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या…(४)
धार्युं करवानो कर रोग मटाडे,
समर्पणनुं चुरण चटाडे,
साधनानो करे शिलान्यास,
सद् गुरु (गुरुमाँ) एवा मळ्या…
रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या….(५)
गुणों सहुने कीधा करूं हुं,
अमृतवाणी पीधा करूं हुं,
पीधे ना ही छिपाये प्यास,
सद् गुरु (गुरुमाँ) एवा मळ्या…
रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या…(६)
यशोविजय गुरुमा बहु प्यारा,
ओलिया अवधूत जगथी न्यारा,
चाले भक्तोना श्वासो-श्वास,
सद् गुरु (गुरुमाँ) एवा मळ्या….
रोमे रोमे परमनो वास,
सद् गुरु एवा मळ्या…(७)