शिवानंदन, नेमि निरंजन,
तुं मोटो महाराज,
बे करजोडी, विनवे बाळा,
आपो संयम साज..(1)
नानी वयमां बनी विरागी,
रजोहरणनी लगनी लागी,
गुरुवर मैया, प्रभुजी खेवैया,
पार उतारो भारी नैया,
मन उलसे छे संयम लेवा…
जैनी कहे छे, हे नाथ! नेमि!
मने चढावो संयम श्रेणि…..(2)
लीला-पीळा-लाल-गुलाबी,
रंगो नहीं सुहावे,
उजळा उजला संयम वेशे,
मन मारूं ललचाये,
आनंद अपारा, वैराग्यनी धारा,
ओघो अवधारू, हुं नानी बाळा,
गुण-कीर्ति-यश, “जय” जयकारा….
जैनी कहे छे, हे नाथ! नेमि !
मने चढावो संयम श्रेणि…(3)
आंखे अंजन, गाले खंजन,
झांझरनो झणकार,
रोमे-रोमे, रणके केवो,
संयमनो रणकार..(4)
आतमघटमां बजी सितारी,
नर्तन करती बाळकुमारी,
नानी वयमां बनी विरागी,
रजोहरणनी लगनी लागी,
गुरुवर मैया, प्रभुजी खेवैया,
पार उतारो मारी नैया,
मन उलसे छे संयम लेवा….
जैनी कहे छे, हे नाथ! नेमि!
मने चढालो संयम श्रेणि…(5)